چشمـــه ایی انـــدر قفسِ خـــاک بود |
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دستـــش از آن خـاک بَر افـــلاک بود |
از تَــبِ خورشید و عَطـــش هـای خاک |
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ســـــوی خـــدا کرد دعاهـــای پـاک |
کــــاِی که جهان بسته به تدبیرِ توست |
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عاقبــــتِ چشمـــه به تقدیرِ توسـت |
از تَــــبِ این خــــاک بـه جــــان آمـــدم |
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بـر درِ تــــو نــــالـه کُنـــــان آمـــــدم |
دستِ مــــرا گیـــــر کــــه در مانده ام |
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از همــــه کس غیــــرِ تو وا مانده ام |
بــــر که بریــــم درد که درمــــان تـوئی |
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بــــا که بسازیــــم که سامـان توئی |
بــــر درِ غیـــــر اَرچــــه بُــــوَد دلــپـــذیر |
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مــــی نَــــروَم زانکه تویی دستگیر |
قصـــــۀ دریـــــا ز تــــو بـشنـــیــــده ام |
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مَـأمَــــنِ خــــود در دلِ او دیــــده ام |
بـــــــــر دلِ دریــــــــات مـــــــــرا راه دِه |
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سهــــمِ مَرا بَهــــره ایی زان جاه دِه |
چــــاره کُـــــن ای چــــارۀ بیچـــاره گان |
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رحــــم کــــن ای مَــــلجاءِ آواره گـان |
دســــت بــــه ســــوی که فـــراز آوریم |
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بــــــر درِ تـــــــو رویِ نیــــاز آوریـــــم |
رودی در آن نــــاحـــــیــــه در راه بـــــود |
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سینـه چو خورشیــد و رُخَش ماه بود |
دســـتِ قضا جانـــبِ آن چشمــــه رانـد |
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باد، غـمِ چشمه به گوشــش رساند |
گفــت: شنیـــدم که دُعــــا می کنـــی |
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دســـتِ طلب ســـویِ خدا میـــکنی |
وصـــلتِ دریا طَلَبـــی این خــوش است |
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عَقــــدِ ثُریّا طلبی این خـــوش است |
جوشش این رود هم از چشمه هاست |
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صحبـــت ما نیـــز دُعـــای شماست |
مــقــــصـــدِ ما جــــانبِ دریــــا بُــــوَد |
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راهــــی اگر هســـت زِ صحـــرا بُــوَد |
صِــــرفِ دُعــــا رَه به کُجــــا می بَـری؟ |
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بــــا حـــرکت رَه به خـــدا مــی بَری |
هَمـــــرَه ما شـــــو که رَهایــت کنیـــم |
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همنـــفسِ بــــادِ صَبــــایت کنـیــــم |
چشمــــه بر آن رودِ خروشـان نشست |
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رَخـــتِ عَزیمــــت زِ بیابــــان بِبَسـت |
از پـــــسِ آن دســــت کـه بــــا رود داد |
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تـــازه شـــروع شد غمِ طوفان و بـاد |
راهِ فـــــراوان و بـــــیـــــابان و خــــــاک |
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بُــــرد اُمیــــد از دلِ آن چشمـه پاک |
گشـــــت پشیمـــــان کــــه چرا آمـدم |
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با چـــــه امیــــد گِــــردِ جهان آمـدم |
گـرچــــه در آن خـــــاک تَنَــــم داغ بـود |
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لیــک دلم زین همه غـم طـــاق بـود |
در عـــــوضِ چشمه که بـی تـاب بـود |
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رود ولـــی همسـفــــری نــــاب بـود |
گـفـــــت: اگـــــر راه فــــــراوان شـــود |
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هـمــــتِ ما نیــــز دو چنــــدان شـود |
نقشــــۀ گنــج، در دل رنج است نهـان |
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لـــازم اگــــر گشـت بگـــردیم جهـان |
زود بـــــه یـــک خـــــار کـه در پــــا رَوَد |
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مــــردِ رَه آن نیـــست که از جـا رَوَد |
عــــاقبـــــت از آن هــمـــــه آزارِشـــان |
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داد صـــبــــا مــــژدۀ دیــــدارشــــان |
از پــــسِ آن سنــــگ و بیابــان و خـاک |
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رُخ بِـنــــمود صــــورتِ دریــــای پـاک |
وصــــل پس از آن همه هجران رسـیـد |
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یوســـفِ دل بــــر درِ کنـعان رسـیــد |
نـــــور دَمیــــد در دلِ آن چـشمه ســار |
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گـفــــت زَهـــــی مِنّــــتِ پروردگــار |
شُکـــــرِ تو گـویــــم که خُـدائی تویــی |
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وَاَستَــــجَبوا کُــــلِّ دُعائی تــــویــی |
خـــــاک بُـــــدَم تـــــاجِ گُـهــر دادی اَم |
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ذَرّه بُــــــــدَم ، راهِ دِگـــــــر دادی اَم |
بــــی بَصَر است آنکه رَهــا سازی اَش |
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بی اثر آنکس که فــنـــا سازی اش |
بـــــر دَهنـــــم خاک که بَــــد گویـمـت |
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نـــاکَـــسم اَر راه دِگــــر پــــویَـــمت |
آری چـــــو آن چشـمـــــه گُـذر بایَــدَت |
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هَمــــرَهِ آن رود سـفــــر بــــایــــدت |
راه اگـــــرچـــنــــــد پریشـــــان بُـــــوَد |
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نیــــا بــــه رَهَت خارِ مُغیــــلان بُـوَد |
عـاقبـــــت ای چــشمـــه از آن راهِ دور |
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رَه بِبَــــری بــــر دلِ دریـــــایِ نــــور |
قـصّــــۀ این وصــل چو خـوانــی دَمـی |
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نــــکتــــۀ توحیـــــد از آن بشنـــوی |
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