این جهان شد دام و دانه سر به سـر |
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یـــکبـــهیـــک هـــر دانـــهای دام دگر |
شهـــد هر دانه که شیریــنکــام کـرد |
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مـــرغـــکـــی را لاجـــرم در دام کـــرد |
دانــه بـــینـــد مرغــکـــان و دام کـــی |
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در خـــفـــا افـــکـــنـــد صیـــادی ز پی |
مـــرغـــکـــان هر سو پی یک دانهانـد |
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دام و آن صــــیــــاد را نــــادیــــدهانــــد |
مـــرغ غـــافل از پـــی یک دانــه شــد |
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بـــر وصـــال دانـــه چـــون پـروانه شـد |
شـــوق دانـــه چشم مرغی کور کـرد |
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دام آن صـــیـــاد مـــرغـــک تـــور کــرد |
مـــرغ غـــافـــل دانه دید و خـــام شد |
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پــــا و بــــال و ســـر همه در دام شد |
دانــه آمـــد نـــفس و عادت دام شـد |
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مـــــرغ آزاده نــــگــــون از بـــام شـــد |
بـــام نیـــلی بـود در تســـخیر مـــرغ |
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شـــد قفــس زنــدان پـی تقصیر مرغ |
مـــا همـــه مرغـــان و دام و دانـهایـم |
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در گـــلستـــان وفـــا هـــمخـــانهایــم |
در گـــلـــستـــانی همه جمع آمدیـم |
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هـــریـــکی پـــروانـــه بر شمع آمدیـم |
مـــرغ آزاده یـــکـــی چون شمع شد |
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نـــورش ایـــنـــجا رهنـمای جمع شد |
مـــرغـــکــــان آرام در دارالـــشـــفـــا |
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یـــکبـــهیـــک آمـــوختـــه سرّ بــقـــا |
ابـــتـــدا در فـــکر درمـــان بـــودهانـــد |
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دوستـــی کمکم پــی جـــان بردهانـد |
چونـکه هجران رفت و دیگر وصل شد |
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مــرغــک ایــنـــجا آشنـــا با اصل شد |
مـــیشود درمـــان یـکایــک دردهـــا |
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بــــرگشــوده عـــقـــدههـــا و بـنــدها |
بـــایـــدش تـــمـــریـــن در پـــرواز تــو |
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زنــــدگـــی را تــــا شـــود آغـــاز تـــو |
تـــا رســـد فــرماندهی از این سبیل |
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نــامـــهای در دسـت فرمـانالرحــیــل |
الرحیـــل یعنـــی که بایــد کــوچ کــرد |
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دوری از ایـــن دانههـــای پــــوچ کـــرد |
الرحیـــل یعنـــی کـــه هجرت بایــدت |
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زیـــن قـــفـــس پـــرواز عـــزت بـایـدت |
ایـــن قـــفـــس بـــر قالبت تنگ آمده |
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جایـــگاهی پست و کــمسنگ آمـده |
قــالـــبت را بـــام عـــزت جـــایگاست |
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کـی چنین دریوزگـی بـرتـو سزاسـت |
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